28 जुलाई 2005 को जौनपुर से सुल्तानपुर रूट पर हरिहरपुर रेलवे क्रॉसिंग के नजदीक श्रमजीवी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में विस्फोट के मुख्य दोषी बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद आलमगीर उर्फ रोनी को बीते कल यानि की शनिवार को अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) बुधिराम यादव की अदालत ने फांसी की सजा सुना दी।उस ब्लास्ट में 12 यात्रियों की मौत हुयी थी और 18 घायल हुए थे।
4 अप्रैल 2006 को दिल्ली की स्पेशल सेल ने दो जुड़वां भाईयों को गिरफ्तार कर इस कांड से पर्दा उठाया था।
दूसरे आरोपी ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबू भाई के मामले में अदालत दो अगस्त को अपना फैसला सुनाएगी। इस पूरे मामले में कुल सात आरोपी हैं। इनमें से दो फरार हैं जबकि एक की मौत हो गई है। दो हैदराबाद जेल में बंद हैं और दो के खिलाफ कोर्ट में विचार हुआ।
आतंकी आरोपी आलमगीर के अधिवक्ता श्याम शंकर तिवारी ने कहा कि न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
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