![]() |
दीपा कर्माकर |
52
साल बाद ओलंपिक खेलों की जिम्नास्टिक स्पर्धा में पहली भारतीय महिला
एथलीट के तौर पर प्रवेश कर पहले ही इतिहास रच चुकीं अर्जुन पुरस्कार विजेता दीपा कर्माकर ने रविवार
को रियो ओलिंपिक के वॉल्ट के फाइनल में प्रवेश कर एक और इतिहास रच दिया|
दीपा जिम्नास्टिक की सभी पांच क्वालिफिकेशन सबडिवीजन स्पर्धा के समापन के
बाद वॉल्ट में आठवें स्थान पर रहीं, जो फाइनल में क्वालिफाई करने के लिए
आखिरी स्थान था|
दीपा
ने रविवार को हुए तीसरी सबडिवीजन क्वालिफाइंग स्पर्धा के वॉल्ट में 14.850
अंक हासिल किये| तीसरे सबडिवीजन की समाप्ति पर दीपा छठे स्थान पर थीं,
लेकिन अमेरिका की सिमोन बाइल्स और कनाडा की शैलन ओल्सेन आखिरी के दो
सबडिवीजन से फाइनल में प्रवेश करने में सफल रहीं|
-
दीपा
राष्ट्रमंडल खेलों (ग्लासगो 2014) में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला
जिमनास्ट रही हैं और हिरोशिमा में एशियाई चैंपियनशिप
में कांस्य पदक विजेता भी हैं|
-
दीपा
कर्मकार का जिम्नास्टिक्स का सफर काफी संघर्षभरा रहा है| इसमें कदम रखने
के समय जहां उनके पैर बाधा बने, वहीं इसके कठिन स्टेप्स सीखने के लिए भी
उन्हें शारीरिक बाधाओं के कारण अत्यधिक कड़ी मेहनत करनी पड़ी| दीपा की
मानें, तो वर्ल्ड चैंपियनशिप में जिम्नास्टिक्स का सबसे कठिन वॉल्ट
(प्रॉडुनोवा) करने के दौरान एक बार तो उनके कोच को ऐसा लगने लगा था कि वह
गर्दन तुड़वा बैठेंगी या मर जाएंगी| जिम्नास्टिक्स
का सबसे मुश्किल प्रॉडुनोवा वॉल्ट करने के बारे में कम खिलाड़ी ही सोचते
हैं| विश्व में पांच महिला जिमनास्ट ही इसे सफलतापूर्वक कर पाई हैं|
0 comments:
Post a Comment