आखिरकार डोपिंग के मामले में दोषी पाते हुए नरसिंह यादव पर चार साल का बैन लगा दिया गया| डोपिंग मामले में भारत की डोपिंगरोधी एजेंसी नाडा ने नरसिंह को क्लीन चिट दी थी जिसके बाद उन्हें रियो ओलंपिक का टिकट थमा दिया गया था,
लेकिन विश्व डोपिंगरोधी एजेंसी वाडा ने इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ कोर्ट ऑफ़
ऑर्बिट्रेशन (सीएएस) में अपील की जिसपर गुरुवार को सीएएस ने चार घंटे चली सुनवाई के बाद अपना फैसला वाडा के पक्ष में सुनाते हुए नरसिंह पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया|
यह संभावना पहले से ही जतायी जा रही थी कि डोपिंग मामले में वाडा का रुख नरसिंह के लिए सख्त ही रहने वाला है चूँकि प्रतिबंधित दवा उन्होंने स्वयँ ही, साजिशन दी गयी या फिर भूलवश ले ली गयी,किन्तु वह डोपिंग में पॉजिटिव थे| भारतीय कुश्ती संघ को भी निश्चित रूप से
यह बात पता रही होगी कि नरसिंह को रियो में अयोग्य घोषित किया जा सकता है,
फिर भी उन्होंने उन पर दांव खेला और अब नतीजा सबके सामने है|
सवाल यही है कि आखिर इस किरकिरी के लिए दोषी किसे माना जाए? जब नरसिंह
के डोप टेस्ट में पॉजिटिव आने की खबर के बाद भारत को उनकी जगह पर किसी
दूसरे खिलाड़ी को भेजने की अनुमति मिल गई थी उस समय भारतीय कुश्ती संघ ने प्रवीण
राणा के नाम की घोषणा भी कर दी, लेकिन नाडा के फैसले के बाद एक बार फिर नरसिंह को ही भेज दिया| इसे जिद ना मानें तो क्या कहें?
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