ताजनगरी में शनिवार को आरएसएस द्वारा आयोजित विश्वविद्यालयीय एवँ
महाविद्यालयीय शिक्षक सम्मलेन के दौरान एक शिक्षक ने जब सरसंघचालक से
हिंदू-मुस्लिम जनसंख्यानुपात संबंधी प्रश्न किया तो उसके जवाब में भागवत
बोले कि किस क़ानून ने उन्हें(हिन्दुओं को) ज्यादा बच्चे पैदा करने से रोका
है? शिक्षकों से संवाद स्थापित करते हुए उन्होंने बदलते परिवेशमें शिक्षकों
से उम्मीदें एवँ शिक्षकों की जिम्मेदारियों पर चर्चा की| कार्यक्रम में एक
शिक्षक ने सवाल किया कि आरएसएस के नाम में भारतीय या
अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जोड़ दिया जाए तो कैसा रहेगा? इस पर भागवत ने
जवाब दिया, 'भारतवर्ष एक है, देशों का बंटवारा तो कृत्रिम है। अगर यहां का
पूरा हिंंदू इकट्ठा हो गया तो पूरी दुनिया आर्य और भारतीय कहलाएगी, इसलिए
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ही सही है। इंग्लैंड समेत तमाम देशों में
हिंंदू स्वयंसेवक संघ हैं। वे खुद को आरएसएस से जोड़कर बताते हैं।'
भागवत
ने आगे कहा, 'अगर बजट का 50 फीसदी भी दे दिया गया तो इससे भी शिक्षा का
उत्थान सुनिश्चित नहीं कह सकते, खराब व्यवस्था के लिए शिक्षक भी
जिम्मेदार हैं। हालांकि, 50 फीसदी जिम्मेदारी व्यवस्था की भी है।
इजराइल
का उदाहरण देते हुए वे बोले कि वहाँ पर पांच बार विदेशी विद्रोहियों ने
आक्रमण किया, लेकिन मातृभूमि की
रक्षा का संकल्प लिए वहां के निवासियों ने न केवल विद्रोहियों को हराया
बल्कि पांचों युद्ध में विजय के साथ अपनी सीमा का विस्तार भी किया। समाज
निर्माण में महिलाओं की भूमिका पर भी बोले कि लड़कियों की शिक्षा बहुत
जरूरी है। शिक्षा से ही समाज का विकास होगा।
कार्यक्रम
के दौरान अधिकाँश शिक्षकों की ओर से जो प्रश्न किये गये वे प्रासंगिक न
होकर व्यक्तिगत ज्यादा लगे जिस कारण भागवत भी बोले कि आप लोग मुझे बीजेपी सरकार का दूत मान रहे हैं लेकिन मैं साफ कर देना चाहता हूं
कि ऐसा नहीं है। पैंशन, काम करने की जगह पर हो रहे शोषण जैसी समस्याओं
के लिए आप मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखिए|
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