जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले के बाद सरकार हरकत में है।सोमवार शाम अमरनाथ यात्रियों की बस पर हुए आतंकी हमले में 7 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 32 लोग घायल हो गए थे। ये श्रद्धालु दर्शन के बाद वापस लौट रहे थे। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार सुबह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ बैठक कर सुरक्षा हालात की समीक्षा की। डोभाल ने इसके बाद पीएम मोदी से मुलाकात कर उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी।
इस बीच, आर्मी चीफ बिपिन रावत और गृह मंत्रालय की एक टीम श्रीनगर रवाना हो गई है। आईजी कश्मीर मुनीर खान ने बताया कि अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले की साजिश लश्कर-ए-तैयबा ने रची है। अटैक का मास्टरमाइंड पाकिस्तानी आतंकी इस्माइल बताया जा रहा है। इस हमले के बाद पूरे देश में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट कर दिया गया है। सभी टॉप अफसर सुरक्षा हालात की समीक्षा में लगे हुए हैं। यूपी में कांवड़ यात्रा पर निकलने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा चाक-चौबंद करने के आदेश दिए गए हैं।
सीआरपीएफ के आईजी ऑपरेशंस जुल्फिकार हसन ने कहा कि हमले की जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस कर रही है। जुल्फिकार ने बताया कि यात्रा अब भी जारी है और इसके शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने के लिए सुरक्षा के समुचित इंतजाम किए गए हैं। उधर, जम्मू में मोबाइल डेटा सर्विस को रोक दिया गया। सिर्फ बीएसएनएल की ब्रॉडबैंड सर्विस सीमित स्पीड के साथ उपलब्ध है। इस बीच, राज्य के गवर्नर एनएन वोहरा ने एक मीटिंग बुलाई है। वहीं, सीएम महबूबा मुफ्ती ने भी कैबिनेट की बैठक बुलाई है।
आतंकी हमले की थी खुफिया सूचना मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अमरनाथ यात्रा पर हमले से संबंधित इंटेलिजेंस रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि आतंकियों का लक्ष्य है कि कम से कम 150 श्रद्धालुओं को निशाना बनाया जाए। इसमें यह भी कहा गया था कि आतंकी इस फिराक में हैं कि 100 के आसपास जवानों को भी निशाना बनाया जाए। बता दें कि अमरनाथ यात्रा को आतंकी इससे पहले भी कई बार निशाना बना चुके हैं। एक बड़ा हमला साल 2000 में भी हुआ था, जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
कड़ी सुरक्षा के बावजूद हमला
इस साल यह यात्रा पहलगाम और बालटाल- इन दो रूटों से 29 जून को बेहद कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच शुरू की गई थी। इस यात्रा के तहत 6000 श्रद्धालुओं को उत्तरी कश्मीर के बालटाल बेस कैंप की तरफ से और 5000 श्रद्धालुओं को दक्षिणी कश्मीर के पहलगाम की ओर से पवित्र गुफा जाने के लिए इजाजत दी गई थी। इस साल करीब 1.2 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया था। 45 दिनों तक चलने वाली यात्रा में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पूरे मार्ग पर सैटलाइट ट्रैकिंग सिस्टम, ड्रोन्स, मोबाइल बंकर वाहन और रोड ओपनिंग पार्टीज (आरओपी) की तैनाती की गई थी। सुरक्षा प्रबंधों को पुख्ता बनाने के लिए केंद्र ने राज्य सरकार को 40 हजार अर्धसैनिक बल और प्रदान किए थे।
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इस बीच, आर्मी चीफ बिपिन रावत और गृह मंत्रालय की एक टीम श्रीनगर रवाना हो गई है। आईजी कश्मीर मुनीर खान ने बताया कि अमरनाथ यात्रियों पर हुए हमले की साजिश लश्कर-ए-तैयबा ने रची है। अटैक का मास्टरमाइंड पाकिस्तानी आतंकी इस्माइल बताया जा रहा है। इस हमले के बाद पूरे देश में सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट कर दिया गया है। सभी टॉप अफसर सुरक्षा हालात की समीक्षा में लगे हुए हैं। यूपी में कांवड़ यात्रा पर निकलने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा चाक-चौबंद करने के आदेश दिए गए हैं।
सीआरपीएफ के आईजी ऑपरेशंस जुल्फिकार हसन ने कहा कि हमले की जांच जम्मू-कश्मीर पुलिस कर रही है। जुल्फिकार ने बताया कि यात्रा अब भी जारी है और इसके शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न करवाने के लिए सुरक्षा के समुचित इंतजाम किए गए हैं। उधर, जम्मू में मोबाइल डेटा सर्विस को रोक दिया गया। सिर्फ बीएसएनएल की ब्रॉडबैंड सर्विस सीमित स्पीड के साथ उपलब्ध है। इस बीच, राज्य के गवर्नर एनएन वोहरा ने एक मीटिंग बुलाई है। वहीं, सीएम महबूबा मुफ्ती ने भी कैबिनेट की बैठक बुलाई है।
आतंकी हमले की थी खुफिया सूचना मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अमरनाथ यात्रा पर हमले से संबंधित इंटेलिजेंस रिपोर्ट जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि आतंकियों का लक्ष्य है कि कम से कम 150 श्रद्धालुओं को निशाना बनाया जाए। इसमें यह भी कहा गया था कि आतंकी इस फिराक में हैं कि 100 के आसपास जवानों को भी निशाना बनाया जाए। बता दें कि अमरनाथ यात्रा को आतंकी इससे पहले भी कई बार निशाना बना चुके हैं। एक बड़ा हमला साल 2000 में भी हुआ था, जिसमें 100 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
कड़ी सुरक्षा के बावजूद हमला
इस साल यह यात्रा पहलगाम और बालटाल- इन दो रूटों से 29 जून को बेहद कड़े सुरक्षा प्रबंधों के बीच शुरू की गई थी। इस यात्रा के तहत 6000 श्रद्धालुओं को उत्तरी कश्मीर के बालटाल बेस कैंप की तरफ से और 5000 श्रद्धालुओं को दक्षिणी कश्मीर के पहलगाम की ओर से पवित्र गुफा जाने के लिए इजाजत दी गई थी। इस साल करीब 1.2 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया था। 45 दिनों तक चलने वाली यात्रा में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पूरे मार्ग पर सैटलाइट ट्रैकिंग सिस्टम, ड्रोन्स, मोबाइल बंकर वाहन और रोड ओपनिंग पार्टीज (आरओपी) की तैनाती की गई थी। सुरक्षा प्रबंधों को पुख्ता बनाने के लिए केंद्र ने राज्य सरकार को 40 हजार अर्धसैनिक बल और प्रदान किए थे।
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(नवभारत टाइम्स डॉट कॉम से)