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बेशक एक अच्छा प्रयास है ये किन्तु इसी दिन कुछ विद्यालयों के धराशायी होने की खबरें भी मिलीं| गनीमत बस इतनी रही कि हादसे के समय कोई बच्चा अथवा विद्यालय का स्टाफ वहाँ नहीं था|
कहना सिर्फ इतना है कि यदि सभी परिषदीय/प्राथमिक-उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के रखरखाव को भी सुनिश्चित किया जाए तो बेहतर होगा| और ये तभी संभव है जब इनका नियमित निरीक्षण हो एवँ उपरोक्त जैसी कार्यशालाओं के लिए आयोजनस्थल भी यही हों|
(हिंदी दैनिक "अमर भारती" में प्रकाशित स्कूलों की छत गिर जाने की खबर)
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