भारत में भी कोरोना के मरीजों की संख्या आगे बढ़ी है। पिछले 24 घंटों में कोरोना के 106 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। इसके बाद कोविड-19 के मामले 1000 का आंकड़ा पार कर गए। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या 942 है जबकि 99 लोग या तो ठीक हो गए या उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई और एक व्यक्ति देश के बाहर चला गया। आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात और जम्मू-कश्मीर में दो लोगों की कोरोना वायरस से मौत हो गई।
केंद्र सरकार ने प्रवासी श्रमिकों द्वारा कोरोना वायरस के सामुदायिक संचरण को रोकने के लिए देशभर में राज्य और जिलों की सीमाओं को सील करने का आदेश दिया और पहले ही सीमाएं पार कर चुके लोगों को 14 दिन पृथक रहने को कहा।
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ताजनगरी में रविवार को कोरोना संक्रमण का एक और केस मिला। रावली क्षेत्र के कॉलेज संचालक के बेटे और 11 वीं के छात्र की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। वह 18 मार्च को यूनाइटेड किंगडम (यूके) से लौटा था। जिले में 48 घंटे में यह तीसरा और अब तक का 11 वां मामला है। इनमें से सात ठीक हो चुके हैं। संक्रमित पाया गया 17 वर्षीय युवक यूके के न्यू केसल से लौटा था। उसका और उसके पिता के नमूने शनिवार को जांच के लिए भेजे गए थे। रविवार शाम को रिपोर्ट आई। इसमें पिता की नेगेटिव और बेटे की पॉजिटिव आई। इसके बाद पूरे परिवार सहित 35 लोगों को क्वारंटीन में भेज दिया गया। संक्रमित छात्र को एसएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। शहर में संक्रमित मिल चुके सभी 11 वही लोग हैं जो विदेश से लौटे या फिर उनके सीधे संपर्क में रहे।
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इस वायरस का संक्रमण जिस तेज गति से फैल रहा है वह जरूर भयभीत करने वाला है, लेकिन कोरोना का मतलब जिंदगी खत्म होना नहीं है। दुनिया में अभी तक करीब 7 लाख 22 हजार लोग कोरोना से संक्रमित हैं, जिनमें से 33 हजार लोगों की जान गई है तो 1 लाख 51 हजार लोग पूरी तरह ठीक होकर सामान्य जिंदगी जी रहे हैं। जिन 5 लाख 36 हजार मरीजों का इलाज चल रहा है उसमें से 5 लाख 9 हजार यानी 95 फीसदी में बीमारी कम या मध्यम दर्जे की है। 5 पर्सेंट मरीजों यानी 26 हजार की स्थिति गंभीर है। इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि कोरोना से संक्रमित अधिकांश लोग ठीक हो जाते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोरोना संक्रमित 80 फीसदी लोग हल्का बुखार महसूस करते हैं और वे जल्द ठीक हो जाते हैं जबकि 20 प्रतिशत लोगों में सर्दी, जुकाम, बुखार जैसे गंभीर लक्षण दिखते है और उन्हें अस्पताल में भर्ती करना जरूरी हो जाता है। अस्पताल में भर्ती होने वालों में महज 5 प्रतिशत को ही सर्पोटिव ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है जिसमें नई दवाएं दी जाती हैं।
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गौरतलब है कि कोरोना ने इस समय दुनियाभर में तबाही मचाई हुई है। कोरोना वायरस के चलते विश्व में इस वायरस से 33,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है जिसमें अकेले यूरोप में 20,000 लोगों की मौत हुई है। वहीं विश्व में कुल 7 लाख से अधिक मामले सामने आए हैं। स्पेन और इटली में एक दिन में 800 से अधिक मौतें हुई हैं। इस वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दुनिया की आबादी का लगभग एक तिहाई लॉकडाउन में है।
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