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APNI KHABAR

Saturday, 21 March 2020

DEI शोधछात्रा हत्याकांड:आगरा की निर्भया को न्याय कब तक?

15 मार्च 2013 को दयालबाग़ शिक्षण संस्थान की शोध छात्रा की हुई थी दुष्कर्म के बाद हत्या

सात वर्ष तीन माह बाद दिल्ली की निर्भया के गुनहगारों को फांसी हो गई लेकिन आगरा की एक निर्भया के परिजन अभी भी न्याय के इंतज़ार में आस लगाये बैठे हैं| दिल्ली की निर्भया की ही तरह आगरा में दयालबाग़ एजुकेशनल इंस्टिट्यूट की एक शोध छात्रा की भी दुष्कर्म के बाद हत्या की गई थी| 15 मार्च 2013 की काली शाम आज भी शोध छात्रा के माता-पिता को चैन से सोने नहीं देती है। उन्हें ऐसा लगता है कि बेटी दर्द से कराह रही है। एक ही बात बोल रही है। इंसाफ कब मिलेगा। शोध छात्रा के हत्यारोपी को सजा दिलाने के लिए आठ साल से छात्रा के परिजन जंग लड़ रहे हैं। दरिंदे ने उसके शरीर पर पेपर कटर से 12 घाव करके गला काट दिया था। बर्बरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि छात्रा के पोस्टमार्टम के दौरान उसके शव से डॉक्टरों को कांच की पिपेट मिली थी। दुष्कर्म के बाद हत्या की इस वारदात ने पूरे शहर को हिला दिया। जघन्य हत्याकांड के दूसरे दिन डीईआइ के छात्र छात्राएं सड़क पर आ गए थे। मामले में सीबीआइ जांच हुई। पहले पुलिस ने फिर सीबीआइ ने केस में मामले में रसूखदार अधिकारी प्रेम कुमार के धेवते उदयस्वरूप और लैब असिस्टेंट यशवीर सिंह संधू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। उदयस्वरुप अभी जेल में है मगर न्याय के रथ की रफ्तार धीमी है। 
शुक्रवार को शोध छात्रा के पिता ने फेसबुक पर मार्मिक पोस्ट की। इसमें उन्होंने शोध छात्रा के गुनहगारों को भी जल्द सजा दिए जाने की मांग और सिस्टम से सहयोग की अपील की है। अभी तक गवाही की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हो सकी है। शोध छात्रा के पिता ने शुक्रवार को फेसबुक पर किए पोस्ट में कहा है कि सत्संग सभा के प्रमुख पदाधिकारी के प्रभाव के कारण उनको न्याय मिलने में देरी हो रही है। वे अपने प्रभाव से कोई न कोई रोड़ा लगाते रहते हैं। शोध छात्रा के पिता ने अपील की है कि अपनी बेटी को न्याय दिलाने को सभी को अपने हाथ मिलाकर आगे बढ़ना चाहिए, जिससे हमारी बेटियां सड़क, गलियों और कॉलेज में निर्भय होकर आ जा सकें।

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