गरीब किसान का कहना है कि उसके पास तहसीलदार को देने के लिए और कुछ नहीं है। उसका कहना है कि ये कैसा सिस्टम है, 50 हजार रुपये रिश्वत देने के बाद भी जमीन का नामांतरण नहीं हुआ। और अब दोबारा 50 हजार रुपये मांगे गए हैं। किसान ने अपनी भैंस गाड़ी से बांधने के बाद हाथ जोड़ लिए और तहसीलदार से कहा कि साहब कुछ और नहीं है आपको देने के लिए।
गांधीगिरी का रास्ते अपनाए किसान की भैंस पुलिस ने गाड़ी से खोलकर पेड़ से बांध दी। मामले में कलेक्टर ने एसडीएम को जांच के आदेश दे दिए हैं।
देवपुर के लक्ष्मण यादव ने पांच साल पहले जमीन खरीदी थी। पंजी भरने का काम भी पटवारी ने कर दिया था। लेकिन तहसीलदार सुनील वर्मा नामांतरण नहीं कर रहा था। उसने लक्ष्मण से कहा कि केस चलाओ, प्रकरण पेश करो, बाद में नामांतरण की कार्रवाई होगी।
इस दौरान वर्मा ने 50 हजार रुपये की रिश्वत भी मांगी। गरीब किसान ने बड़ी मुश्किल से ये राशि जमा की और वर्मा को दे दी। लेकिन काम फिर भी नहीं हो पाया। इसके बाद जब एसडीएम से किसान ने निवेदन किया तो उन्होंने नामांतरण के लिए आदेश दिए लेकिन तहसील कार्यालय फिर भी अड़ा रहा। किसान का कहना है कि जब वह दोबारा तहसीलदार के पास गया तो उसने फिर से 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी।
इसके बाद तहसीलदार के कार्यालय की पूरी पोल खुल गई। वहीं दूसरी ओर तहसीलदार का कहना है कि किसान ने उसपर जो भी आरोप लगाए हैं वह सब गलत हैं। मामले पर कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन का कहना है कि अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी।
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