कल से सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्ट्स और मैसेजेस की बाढ़ आ गयी है जिनमें रामपुर के पुलिस अधीक्षक अजय पाल शर्मा को नायक बनाते हुए यह कहा जा रहा है कि देश में पहली बार किसी ने रेप के आरोपी को सीधे गोली मारी है| कई पोस्ट्स में रेप के आरोपी की मौत हुयी भी प्रचारित की जा रही है| जबकि वास्तविकता इससे कुछ जुदा है|
सात मई को संदिग्ध परिस्थिति में लापता हुई छह साल की मासूम बच्ची का
शव सवा महीने बाद बीते शनिवार को मिलने के बाद इलाके में
हड़कंप सा मच गया और रामपुर एसपी अजय पाल शर्मा ने तुरंत इस मामले में एक टीम
का गठन किया | पुलिस बच्ची के हत्यारोपी का पता लगाने के साथ ही उसे गिरफ्तार करने के
प्रयास में जुट गयी| बदमाश नाजिर का पुलिस से सामना होने पर उसने पुलिस पर गोलियां चला दी और जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी फायरिंग की जिसमें नाजिर के पैरों
में दो गोलियां लगी| पुलिस ने नाज़िर को पकड़कर
अस्पताल में भर्ती करा दिया और आगे की कार्रवाई में जुटी है | और बस इसी को सोशल मीडिया पर लोगों ने यह कहकर प्रचारित कर दिया कि देश में पहली बार किसी पुलिस अधिकारी ने रेप के आरोपियों पर सीधा एक्शन लेते हुए गोली मार दीं| और यह सब केवल सोशल मीडिया तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि मेनस्ट्रीम मीडिया भी इसी पैटर्न पर आगे बढ़ा|
बेशक मामले में पुलिस अधीक्षक की भूमिका, उनकी तत्परता सराहनीय एवँ प्रशंसनीय है किन्तु यह कहना कि आरोपी को दुराचार के अपराध के लिए गोली मारी और न्याय कर दिया, सही नहीं लगता|
कुछ वेबलिंक देखिये:
मीडिया खबरों के अनुसार लड़की के पिता ने बताया कि मेरी 6 साल की बेटी के साथ आरोपी ने पहले
हैवानियत का गंदा खेल खेला और पहचान छिपाने के डर से उसकी गला
रेत कर हत्या करने के बाद तेजाब से उसे जला दिया जिससे शव की
पहचान न हो सके| और फिर आरोपी मासूम के शव को खंडहर में फेंक कर फरार हो गया|
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दी लल्लनटॉप नामक वेबसाइट ने अपनी एक वेब रिपोर्ट में इस पूरे घटनाक्रम का एक अलग एंगल प्रस्तुत किया है|
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