चंद्रयान 2 मिशन में लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने पर हरदिल मायूस जरूर है।
लेकिन इस मिशन को पूरी तरह विफल नहीं कहा जा सकता। देखा जाए तो लैंडर से
संपर्क टूटने से पहले ही भारत ने काफी कुछ हासिल कर लिया है। नभाटा की खबर के अनुसार पूर्व इसरो
चेयरमैन की मानें तो मिशन 95 प्रतिशत तक सफल रहा क्योंकि ऑर्बिटर पहले ही
अपनी सही जगह पहुंच गया है और ठीक काम कर रहा है।
बता दें कि चंद्रयान में कुल तीन प्रमुख हिस्से हैं। इसमें 2379 किलोग्राम
का ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान (लैंडर के अंदर) शामिल थे।
फिलहाल लैंडर और उसके अंदर का रोवर कहां अटक गए हैं इसकी जानकारी नहीं है,
लेकिन ऑर्बिटर अपना काम कर रहा है। जहां लैंडर (1,471 किलोग्राम) की मिशन
लाइफ 14 दिन थी, वहीं ऑर्बिटर की मिशन लाइफ पूरे एक साल है। एक साल मिशन
अवधि वाला ऑर्बिटर चंद्रमा की कई तस्वीरें लेकर इसरो को भेज सकता है।
अधिकारी ने कहा कि ऑर्बिटर लैंडर की तस्वीरें भी लेकर भेज सकता है, जिससे
उसकी स्थिति के बारे में पता चल सकता है।
लैंडर से संपर्क टूटने के पीछे क्या वजह हो सकती हैं? इसपर भी पूर्व इसरो
चीफ ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि बहुत सी वजहों में से कुछ भी हो सकता
है। हो सकता है सेंसर फेल हो गया हो, ऑन बोर्ड सॉफ्टवेयर क्रैश हो गया हो
या फिर वह बहुत तेजी से नीचे चला गया हो। माधवन नायर ने आगे कहा कि उन्हें
पूरा यकीन है कि इसरो जल्द यह पता लेगा कि क्या गलत हुआ।
दुनिया भर से इस समय भारतीय वैज्ञानिकों को इस साहसिक प्रयासों हेतु सराहना मिल रही है| अमेरिका में दक्षिण और मध्य एशिया की कार्यवाहक सहायक मंत्री एलिस जी वेल्स
ने शनिवार को इसरो को चंद्रयान-2 मिशन के लिए बधाई देेते हुए कहा कि भारत
का इस तरह का मिशन एक बड़ा कदम है। अमेरिकी राजदूत ने ट्वीट किया, “हम
चंद्रयान-2 के इस ऐतिहासिक प्रयास के लिए बधाई देते हैं। यह मिशन भारत को
बहुत आगे तक ले जाएगा और वैज्ञानिक आंकड़ों को जुटाने का प्रयास भविष्य में
भी जारी रखेगा। हमें उम्मीद है कि भारत अपनी अंतरिक्ष आकांक्षाओं को जरूर
हासिल करेगा।”
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर वॉशिंगटन पोस्ट और ब्रिटिश अखबार
बीबीसी से लेकर द गार्जियन तक सभी ने चंद्रयान-2 को प्रमुखता से स्थान दिया
और इसे अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी मिशन बताया।
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