राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट 40 दिन तक लगातार चली सुनवाई के बाद शनिवार को फैसला सुनाने जा रहा है. पाँच जजों की बेंच ने १६ अक्टूबर को इस मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था| 
साल 2010 में इलाहबाद हाई कोर्ट ने इस मामले पर एक अहम फैसला सुनाया था, जिस पर साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी| 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने 2:1 के बहुमत से अयोध्या मामले पर अपना फैसला सुनाया था और 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को मामले के 3 मुख्य पक्षकारों- निर्मोही अखाड़ा, राम लला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था. 3 जजों की इस बेंच में जस्टिस एसयू खान, जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस धरमवीर शर्मा शामिल थे. इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस आदेश पर मामले के तीनों मुख्य पक्ष ही सहमत नहीं हुए और उन्होंने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी.
आज अयोध्या मामले में एतिहासिक फैसले के मद्देनज़र एहतियातन देश भर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है| स्कूल-कॉलेज बंद करवा दिए गया हैं| इन्टरनेट सेवाओं को भी बंद करने के आदेश हैं|